नन्मुन चुनंमुन बुरा हाल है,
जाड़ों की ये सर्द चाल है।
सूरज दादा कहाँ सो गए ,
दिन भर ढूंढा कहाँ खो गए ।
रात -रात भर कोहरा बरसे,
कैसे कोई निकले घर से।
ओढें कम्बल और रजाई ,
फिर भी ठंड सताए भाई .
स्वेटर मोज़े और दस्ताने,
पैंट कोट ही लगें सुहाने।
नन्मुन आइसक्रीम मत खाना,
बिना कैप बाहर मत जाना।
शिखा चंद्रा