पापा हमें बताओ न,
बात हमें समझाओ न।
बोले पापा ऐ बच्चों!
अगर गिने ही न हम तो।
कितने दिन बढ़ जायेंगे ,
हम कैसे गिन पाएंगे।
बहुत पुराना है किस्सा ,
कलेंडर का जन्म हुआ .
एक वर्ष में बारह माह,
सात दिनों का एक सप्ताह।
लेकिन एक महीने में,
दिवस भिन्न-भिन्न है रखे।
तीन सौ पैसढ़ दिन हों जब,
एक साल लो निकला तब।
इसी तरह गिनते-गिनते ,
दिन,माह,वर्ष आगे बढ़ते।
अब समझे तुम नन्मुन जी,
ये सुविधा है गिनती की।
शिखा चन्द्रा