RSS

Thursday, February 21, 2013

प्रकाशन: यह क्या हो गया

वर्ष 2003 में डायमंड बुक्स द्वारा प्रकाशित इस कहानी संग्रह में मेरी तब तक की 12 चुनिंदा कहानियां शामिल हैं। 
इसकी सजिल्द क़ीमत रखी गई थी रु.150 मात्र जबकि पेपर बैक केवल रू.60 की है...


Wednesday, February 6, 2013

शीघ्र बहाल होंगे उ0प्र0 हिन्‍दी संस्‍थान के बाल साहित्‍य सम्‍मान

 शीघ्र बहाल होंगे उ0प्र0 हिन्‍दी संस्‍थान के बाल साहित्‍य सम्‍मान ।।

लखनऊ। आज देश में चारों ओर जो चरित्र का संकट दिखाई पड़ रहा है, इसका समाधान बाल साहित्य में निहित है। अगर हम बच्चों को बाल साहित्य उपलब्ध कराएं, तो उससे उनके व्यक्तित्व का समुचित विकास तो होगा ही हमारा समाज भी एक स्वस्थ समाज के रूप में निर्मित हो सकेगा। पर दुर्भाग्यवश हमारे देश में ऐसा नहीं होता है। हमारे यहां बाल साहित्य को दोयम दर्जे का माना जाता है। हम विदेशों की तुलना में एक चौथाई भाग भी इसपर ध्यान नहीं देते हैं, जिसका दुष्परिणाम हमें चारों ओर दिखाई पड़ रहा है।

उपरोक्त बातें उ.प्र. हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह जी ने बाल साहित्यकारों के प्रतिनिधि मण्डल के समक्ष कहीं। वे 1997 में बंद हुए 10 बाल साहित्य सम्मानों को चालू कराने हेतु ज्ञापन देने आए स्थानीय बाल साहित्यकारों के दल को सम्बोधित कर रहे थे।

मम्मी लोरी गाओ तुम!


















मम्मी लोरी गाओ तुम,
हौले हौले थपकी देकर,
मुझको अभी सुलाओ तुम ।

नींद मेरी अंखियों में कैसे,
परियाँ आकर भरतीं हैं,
चंदा के रथ पर मेरे संग,
सैर वो कैसे करतीं है,
मुन्ना, बबुआ के सम्बोधन
से अब मुझे बुलाओ तुम ।।

तेरे आँचल की छैयां में,
मैं निर्भय हो जाऊँ गा,
तेरा प्यार भरा चुंबन पा
मैं जल्दी सो जाऊँ गा,
अब कुछ क्षण तक मम्मी मेरे
साथ में भी सो जाओ तुम ।।


शरद तैलंग 

Tuesday, February 5, 2013

बाल गीत : नीले- नीले आसमान में













अलका सिन्हा
नीले- नीले आसमान में
देखो उड़ती लाल पतंग।

इक पतली सी डोर सहारे
पूरब पश्चिम खूब निहारे
देख हवा से होड़ लगाते
रह जाते पंछी भी दंग।


कभी अटक पुच्छल तारे- सी
कभी यह लाल अंगारे- सी
गोल -गोल ये भँवर बनाती
नए- नए करतब के ढंग।

जात -धर्म का भेद न माने
ये तो केवल उड़ना जाने
हिन्दू –मुस्लिम- सिख उड़ाएँ
उड़ती जाए सबके संग।

नीले- नीले आसमान में
देखो उड़ती लाल पतंग।