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Wednesday, February 6, 2013

शीघ्र बहाल होंगे उ0प्र0 हिन्‍दी संस्‍थान के बाल साहित्‍य सम्‍मान

 शीघ्र बहाल होंगे उ0प्र0 हिन्‍दी संस्‍थान के बाल साहित्‍य सम्‍मान ।।

लखनऊ। आज देश में चारों ओर जो चरित्र का संकट दिखाई पड़ रहा है, इसका समाधान बाल साहित्य में निहित है। अगर हम बच्चों को बाल साहित्य उपलब्ध कराएं, तो उससे उनके व्यक्तित्व का समुचित विकास तो होगा ही हमारा समाज भी एक स्वस्थ समाज के रूप में निर्मित हो सकेगा। पर दुर्भाग्यवश हमारे देश में ऐसा नहीं होता है। हमारे यहां बाल साहित्य को दोयम दर्जे का माना जाता है। हम विदेशों की तुलना में एक चौथाई भाग भी इसपर ध्यान नहीं देते हैं, जिसका दुष्परिणाम हमें चारों ओर दिखाई पड़ रहा है।

उपरोक्त बातें उ.प्र. हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह जी ने बाल साहित्यकारों के प्रतिनिधि मण्डल के समक्ष कहीं। वे 1997 में बंद हुए 10 बाल साहित्य सम्मानों को चालू कराने हेतु ज्ञापन देने आए स्थानीय बाल साहित्यकारों के दल को सम्बोधित कर रहे थे।

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