RSS

Tuesday, November 20, 2012

जानकारी: रुपये से जुड़ी रोचक जानकारी


 भारत में कागज़ी मुद्रा नोट कब और कैसे शुरू हुए


आज रुपये अर्थात नोटों को हम सभी पहचानते हैं। इन्ही नोटों से हम हमारी दैनिक उपयोगी वस्तुएं खरीदते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कागज़ी मुद्रा नोट कब और कैसे शुरू हुए। यह सब जानना अपने आप में बड़ा दिलचस्प है।
भारत में स्न 1700 से पहले कागज़ी मुद्रा का प्रचलन नहीं था। सर्वप्रथम 1770-80 में भारत में कागज़ी मुद्रा प्रचलित की गई थी। इसके पूर्व कौड़ियों, सोने चाँदी के सिक्कों-मुहरों, गिन्नियों के माध्यम से लेन-देन होता था।
प्रारंभ में कागज़ के नोट इंग्लैंड के हिन्दुस्तान बैंक से छपकर भारत आते थे। तब नोट कागज़ के एक तरफ ही छापे जाते थे और एक तरफ कागज़ सादा रहता था। कागज़ी मुद्रा की शुरुआती दौर में जो बैंक थे, उन बैंको को प्रेसीडेंसी बैंक के नाम से जाना जाता था। स्न 1861 तक प्रेसीडेंसी एवं प्राइवेट बैंकों द्वारा कागज़ी मुद्रा का संचालन किया जाता रहा। सन 1861 में ब्रिटिश सरकार ने एक अध्निियम ;पेपर एक्टद्ध बनाकर भारत सरकार को नोट छापने का अधिकार दे दिया, जिससे मुद्रा के संचालन पर सरकार का एकाध्किार हो गया।
प्रेसीडेंसी एवं प्राइवेट बैंकों से नोट जारी करने के अध्किार वापस ले लिये गये। परन्तु कार्यानुभव के कारण इन बैंकों को सरकारी एजेंट के रूप में नियुक्त किया गया। इन बैंकों द्वारा जारी नोटों में से कुछ के नमूने अब भारतीय रिज़र्व बैंक के संग्राहलय में देखे जा सकते हैं।
भारत में स्न 1926 में नोट छापने का पहला कारखाना लगाया गया। अब सभी तरह के कागज़ी नोटों की छपाई भारत में शुरु हो गई। इन नोटों का चलन करीब 15 वर्ष तक रहा। एक अप्रैल 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना की गई, जिसके कारण पुराने नोटों का प्रचलन कम हो गया और ध्ीरे-ध्ीरे पुराने नोटांे की जगह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी नोटांे ने ले ली।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपना जो पहला नोट जारी किया, वह पाँच रुपये का था। इस पर जॉर्ज षष्म का चित्रा अंकित था। जॉर्ज षष्म श्रंखला के नोट आज़ादी तक प्रचलन में रहे। लेकिन 1950 में इन्हें बन्द कर दिया गया। आज़ादी के बाद भारतीय मुद्रा में समय-समय पर परिवर्तन होते रहे।
वर्तमान में जो नोट प्रचलन में हैं वे सिपर्फ भारतीय रिर्ज़व बैंक द्वारा ही जारी किए जाते हैं। वर्तमान में नोट छापने के कारखाने देवास ;मध्य प्रदेश, नासिक ;महाराष्ट्र, मैसूर ;कर्नाटक तथा सलबोनी ;पश्चिम बंगाल में है।
वर्तमान में 1, 2, व 5 रुपये के नोटों की जगह सिक्कों को चलन में लाया जा रहा है। 1000 के नोट को 26 साल पहले बंद कर दिया गया था, जिसे सन् 2000 में पुनः जारी किया गया।


कभी ढाई रुपये का नोट भी हुआ करता था 


30 नवंबर 1917 को पहली बार एक रुपये का नोट कागज़ी मुद्रा की दौड़ में शामिल किया गया। आज हमें अजीब लग सकता है कि ढाई रुपये का नोट भी कभी प्रचलन में रहा है, परंतु ये सच है कि ढाई रुपये के नोट को भी कागज़ी मुद्रा में शामिल  किया गया था, परंतु ये ज़्यादा समय तक अस्तित्व में नहीं रहे। 1926 में एक रुपये और ढाई रुपये के नोटो को बंद कर दिया गया।
भारत में सन् 1926 में महाराष्ट्र नासिक जिले में भारतीय    सुरक्षा प्रेस के नाम से नोट छापने का पहला कारखाना लगाया गया था, जिामें 5, 10, 20, 50, 100, 500, 1000 व 10,000 रुपये के नोट छापे जाते थे।
एक रुपये का नोट अगस्त 1940 में पुनः जारी किया गया। ढाई रुपये के नोट को भी पुनः जारी करने का विचार किया गया। अंततः उसकी जगह दो रुपये का नोट 3 मार्च 1943 को जारी किया गया।
एक रुपये के नोट पर हस्ताक्षर वित्त सचिव और दो रुपये से 1000 रुपये तक के नोटों पर हस्ताक्षर रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया के गर्वनर के होते हैं।


0 comments: